सन्धिः
परिभाषा (Definition): सन्धिः शब्द का अर्थ है संयोग या मिलन। व्याकरण में, जब दो शब्द या ध्वनियाँ मिलती हैं और उनके मिलने से ध्वनि में परिवर्तन होता है, तो उसे सन्धि कहते हैं।
उदाहरण सहित प्रकार (Types with Examples):
१. स्वर सन्धिः (Vowel Sandhi): जब दो स्वरों का मेल होता है।
रामः + इति → राम इति
गुरुः + आत्मा → गुरुरात्मा
२. व्यंजन सन्धिः (Consonant Sandhi): जब व्यंजन मिलते हैं और ध्वनि बदलती है।
तत् + जनः → तज्जनः
सत् + गुणः → सगुणः
३. विसर्ग सन्धिः (Visarga Sandhi): जब विसर्ग (: ) के बाद कोई ध्वनि आती है और परिवर्तन होता है।
रामः + च → रामश्च
गुरुः + अस्ति → गुरुरस्ति
प्रतीकात्मक अर्थ (Symbolic Meaning): सन्धि केवल ध्वनियों का मिलन नहीं है — यह संस्कृत दर्शन में भी एक गहरा संकेत है:
जैसे दो विचार मिलकर एक नई समझ बनाते हैं,
वैसे ही दो ध्वनियाँ मिलकर एक नया शब्द-सौंदर्य रचती हैं।
हिंदी में भावार्थ: सन्धि वह प्रक्रिया है जिसमें दो शब्द या ध्वनियाँ मिलकर एक नया रूप लेती हैं, जिससे भाषा में प्रवाह और मधुरता आती है।
English Meaning: Sandhi in Sanskrit grammar refers to the phonetic transformation that occurs when two sounds or words come together, creating a smoother and more harmonious expression.
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स्वर सन्धिः
परिभाषा (Definition): जब दो स्वरों (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ) आपस में मिलते हैं और उनके मिलने से ध्वनि में परिवर्तन होता है, तो उसे स्वर सन्धिः कहते हैं।
मुख्य प्रकार (Types of Vowel Sandhi):
१. दीर्घ सन्धिः (Lengthening Sandhi): समान स्वर मिलने पर दीर्घ स्वर बनता है।
अ + अ → आ उदाहरण: राम + अचलः → रामाचलः
इ + इ → ई उदाहरण: मति + इन्द्रः → मतीन्द्रः
२. गुण सन्धिः (Guna Sandhi): जब इ/ई, उ/ऊ, ऋ के बाद स्वर आता है, तो गुण रूप बनता है।
इ/ई + अ → ए उदाहरण: गुरु + अर्चना → गुरोर्चना
उ/ऊ + अ → ओ उदाहरण: शिव + अष्टकम् → शिवाष्टकम्
ऋ + अ → अर् उदाहरण: पितृ + अज्ञा → पितराज्ञा
३. वृद्धि सन्धिः (Vṛddhi Sandhi): जब इ/ई, उ/ऊ, ऋ के बाद आ, ऐ, औ आते हैं, तो वृद्धि रूप बनता है।
इ/ई + आ → ऐ उदाहरण: नरि + आत्मा → नर्यात्मा → नार्यात्मा
उ/ऊ + आ → औ उदाहरण: गुरु + आत्मा → गौरात्मा
ऋ + आ → आर् उदाहरण: पितृ + आत्मा → पितारात्मा
४. यण् सन्धिः (Yaṇ Sandhi): जब स्वर के बाद स्वर आता है, तो बीच में य, व, र, ल जुड़ते हैं।
इ/ई + अन्य स्वर → य उदाहरण: गति + अयम् → गत्ययम्
उ/ऊ + अन्य स्वर → व उदाहरण: गुरु + अयम् → गुरवयम्
ऋ + अन्य स्वर → र उदाहरण: पितृ + अयम् → पितरयम्
प्रतीकात्मक अर्थ (Symbolic Meaning): स्वर सन्धि केवल ध्वनियों का मिलन नहीं है — यह संस्कृत दर्शन में भी एक संकेत है:
जैसे आत्मा और परमात्मा मिलकर एकत्व बनाते हैं,
वैसे ही दो स्वरों का मिलन एक नई ध्वनि-सत्ता को जन्म देता है।
हिंदी में भावार्थ: स्वर सन्धि वह प्रक्रिया है जिसमें दो स्वरों के मिलने से एक नया स्वर उत्पन्न होता है, जिससे शब्दों में प्रवाह और मधुरता आती है।
English Meaning: Vowel Sandhi refers to the phonetic transformation that occurs when two vowels meet, resulting in a new, smoother vowel sound that enhances the flow and beauty of Sanskrit speech.
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स्वर सन्धि के अन्य प्रकार
१. अयादि सन्धि (Ayādi Sandhi)
यह विशेष सन्धि तद्धित प्रत्ययों के साथ होती है, विशेषकर जब शब्द राजन्, गण, भ्रातृ आदि से समाप्त होते हैं।
राजन् + इयः → राज्ञीयः (न् + इ → ञ् + ई)
हिंदी: राजा से संबंधित
English: Related to king = Rājñīyaगण + इयः → गण्यीयः (ण् + इ → ण्य् + ई)
हिंदी: गण से संबंधित
English: Related to group = Gaṇyīya
२. संप्रसारण सन्धि (Saṁprasāraṇa Sandhi)
यह सन्धि धातु रूपों में होती है, जब यण रूपों का स्वर रूप बनता है।
गम् + अति → गच्छति (गम् का यण रूप → गच् → गच्छति)
हिंदी: वह जाता है
English: He goes = Gacchatiविद् + अति → वेत्ति (विद् का यण रूप → वेद् → वेत्ति)
हिंदी: वह जानता है
English: He knows = Vetti
यह व्याकरण की गहराई में आता है, विशेषकर धातु रूपों के परिवर्तन में।
३. वृद्धि-गुण मिश्र सन्धि (Mixed Sandhi)
कुछ शब्दों में गुण और वृद्धि दोनों के संकेत मिलते हैं, विशेषकर संस्कृत काव्य में।
नर + ईशः → नरेशः (अ + ई → ए) → गुण
हिंदी: पुरुषों का ईश्वर
English: Lord of men = Nareśaनर + ईशः → नारेशः (अ + ई → ऐ) → वृद्धि
हिंदी: नारी के ईश्वर
English: Lord of woman = Nāreśa
यहाँ भाव के अनुसार सन्धि बदल सकती है — यही तो संस्कृत की लयात्मकता है।
४. स्वर सन्धि में अपवाद (Exceptions in Vowel Sandhi)
कुछ स्थानों पर सन्धि नहीं होती, जैसे:
रामः अत्र → रामः अत्र (सन्धि नहीं होती क्योंकि विराम या विशेष प्रयोग है)
हिंदी: राम यहाँ है
English: Rama is here
व्यंजन सन्धिः
परिभाषा
जब किसी शब्द का अंत व्यंजन से होता है और उसके बाद आने वाले शब्द की शुरुआत स्वर या व्यंजन से होती है, तो उनके मिलने पर जो ध्वनि परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन सन्धिः कहते हैं।
प्रमुख प्रकार और उदाहरण
1. अनुस्वार सन्धि जब म् के बाद क, ख, ग, घ, ङ आदि व्यंजन आते हैं, तो म् का रूप अनुस्वार (ं) में बदल जाता है। उदाहरण:
सं + गच्छति → संगच्छति यहाँ म् + ग → ंग
2. परसवर्ण सन्धि जब एक व्यंजन के बाद उसी वर्ग का दूसरा व्यंजन आता है, तो पहला व्यंजन दूसरे के समान हो जाता है। उदाहरण:
तत् + जनः → तज्जनः यहाँ त् + ज → ज्ज
3. विसर्ग सन्धि जब किसी शब्द का अंत विसर्ग (ः) से होता है और उसके बाद स्वर या व्यंजन आता है, तो विसर्ग बदल जाता है। उदाहरण:
रामः + च → रामश्च यहाँ ः + च → श्च
4. श्चुत्व सन्धि जब स के बाद च आता है, तो स का रूप श में बदल जाता है। उदाहरण:
तत् + च → तश्च
5. द्वित्व सन्धि जब पहला शब्द किसी व्यंजन पर समाप्त होता है और दूसरा उसी व्यंजन से शुरू होता है, तो वह व्यंजन दो बार आता है। उदाहरण:
सत् + तत्त्वम् → सत्तत्त्वम्
भावार्थ
व्यंजन सन्धि भाषा को प्रवाहशील और स्पष्ट बनाती है। यह केवल ध्वनि का नियम नहीं, बल्कि संस्कृत की तार्किकता और सौंदर्य का प्रतीक है।
विसर्ग सन्धिः
परिभाषा
जब किसी शब्द का अंत विसर्ग (ः) से होता है और उसके बाद कोई स्वर या व्यंजन आता है, तो उस विसर्ग में ध्वनि परिवर्तन होता है — इसे विसर्ग सन्धिः कहते हैं।
मुख्य प्रकार और उदाहरण
1. स्वर के साथ विसर्ग सन्धिः
जब विसर्ग के बाद स्वर आता है, तो विसर्ग का लोप होकर र या ओ जैसी ध्वनि बनती है।
रामः + इति → राम इति (विसर्ग लोप)
गुरुः + आत्मा → गुरुरात्मा (ः + अ → र)
2. व्यंजन के साथ विसर्ग सन्धिः
जब विसर्ग के बाद क, ख, प, फ आदि आते हैं, तो विसर्ग का रूप बदलकर ओ या उ जैसा हो जाता है।
लोकः + पालयति → लोकोपालयति (ः + प → ओ)
राजः + पुत्रः → राजोपुत्रः
3. श, च, त आदि के साथ विसर्ग सन्धिः
जब विसर्ग के बाद श, च, त आदि आते हैं, तो विसर्ग का रूप बदलकर श्च, श्, स्त आदि हो जाता है।
रामः + च → रामश्च (ः + च → श्च)
गुरुः + तत्त्वम् → गुरुतत्त्वम् (विसर्ग लोप)
विशेष ध्यान देने योग्य बातें
विसर्ग सन्धि में परिवर्तन ध्वनि की सुविधा और उच्चारण की मधुरता के अनुसार होता है।
यह सन्धि लिखित रूप में नहीं, बल्कि उच्चारण में अधिक स्पष्ट होती है।
कई बार विसर्ग का पूरा लोप हो जाता है, और शब्द सीधे जुड़ जाते हैं।
हिंदी में भावार्थ
विसर्ग सन्धि वह प्रक्रिया है जिसमें विसर्ग के बाद आने वाले अक्षर के अनुसार विसर्ग की ध्वनि बदल जाती है — जिससे शब्दों में प्रवाह और स्पष्टता आती है।
English
Visarga Sandhi refers to the phonetic changes that occur when a word ending in visarga (ः) is followed by a vowel or consonant. The visarga may transform into r, o, sh, or disappear entirely, depending on the following sound.
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