अन्नपूर्णा स्तोत्रम्

 


अन्नपूर्णा स्तोत्रम्, पद ११

अन्नपूर्णे सदापूर्णे शङ्करप्राणवल्लभे।
ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति॥


पदान्वय (संस्कृत)

  • अन्नपूर्णे — हे अन्न से पूर्ण करने वाली देवी

  • सदापूर्णे — जो सदा पूर्णता प्रदान करती हैं

  • शङ्करप्राणवल्लभे — भगवान शंकर की प्राणप्रिय

  • ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थम् — ज्ञान और वैराग्य की सिद्धि के लिए

  • भिक्षां देहि — कृपया भिक्षा (अनुग्रह) प्रदान करें

  • च पार्वति — हे पार्वती देवी


हिंदी अर्थ

हे अन्नपूर्णा देवी, जो सदा पूर्णता प्रदान करती हैं और भगवान शंकर की प्राणप्रिय हैं — कृपया हमें ज्ञान और वैराग्य की सिद्धि हेतु अपनी कृपा-भिक्षा प्रदान करें, हे पार्वती।

English Translation

O Annapurna, who is ever full and the beloved of Lord Shankara, Grant me the alms of wisdom and renunciation, O Goddess Parvati.


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